NEWS : रेलवे दोहरीकरण में 3 करोड़ 40 लाख के मुआवजा घोटाले की जांच अटकी...! सरकारी जमीन को बताया निजी, अब लग रहें गंभीर आरोप, पढ़े खबर

रेलवे दोहरीकरण में 3 करोड़ 40 लाख के मुआवजा घोटाले की जांच अटकी...!

NEWS : रेलवे दोहरीकरण में 3 करोड़ 40 लाख के मुआवजा घोटाले की जांच अटकी...! सरकारी जमीन को बताया निजी, अब लग रहें गंभीर आरोप, पढ़े खबर

रिपोर्ट- नरेंद्र राठौर 

पिपलियामंडी। नीमच-रतलाम रेलवे दोहरीकरण के तहत पिपलियामंडी क्षेत्र में भूमि अधिग्रहण के दौरान करोड़ों की मुआवजा राशि में बड़ा घोटाला होने का आरोप लगा है। शिकायतकर्ता ने शासकीय पटवारी, पश्चिम रेलवे रतलाम मंडल के उप मुख्य इंजीनियर (निर्माण) एवं कुछ स्थानीय प्रभावशाली व्यक्तियों से मिलीभगत कर शासकीय भूमि को निजी भूमि बताकर करीब 3 करोड़ 40 लाख रुपये का मुआवजा दिलवाने का आरोप लगाया। 

शिकायतकर्ता देवराज पिता हंसराज गुर्जर ने लोकायुक्त भोपाल, डीआरएम रतलाम, कलेक्टर, अपर कलेक्टर के अलावा सीएम हेल्प लाइन पर की शिकायत में बताया रेलवे दोहरीकरण के लिए जिन सर्वे नंबरों 95, 100 व 101 की भूमि का अधिग्रहण हुआ, वे शासकीय भूमि हैं। लेकिन इन्हीं से लगी निजी भूमि के धारकों कौशल्याबाई, दिलीपकुमार, महेश्वरी समाज ट्रस्ट, विष्णु ने सरकारी अधिकारियों से सांठगांठ कर शासकीय भूमि पर अपना हक जताया और फर्जी पंचनामा तैयार करवाया। इस दस्तावेज के आधार पर उन्हें करोड़ों रुपये का मुआवजा भी दे दिया गया। 

गुर्जर ने आरोप लगाया पटवारी ओमप्रकाश पाटीार पाटीदार एवं रेलवे इंजीनियर ने इस गड़बड़ी के बदले मोटा कमीशन वसूला है। गुर्जर ने बताया कलेक्टर को जनसुनवाई में दिनांक 20 मई 2025 को शिकायत भी की थी, इसके बाद जांच के आदेश हुए थे। लेकिन हैरानी की बात यह है कि अब तक जांच में कोई प्रगति नहीं हुई। सवाल यह भी उठ रहे हैं कि जब निजी भूमि धारकों की जमीन का एक इंच भी अधिग्रहण नहीं हुआ, तो उन्हें करोड़ों का मुआवजा कैसे मिल गया...? 

इसके अलावा सर्वे नंबर 368/2/4 का मामला तो वर्ष 1974 से न्यायालय में लंबित है। पारिवारिक विवाद को लेकर 2005 में उक्त भूमि का सीमांकन भी हुआ था। कलेक्टर के आदेश पर उक्त जमीन की नपती हुई थी। जिसमें दिलीप गोयल के पास 0.64 आरी जमीन जयादा पाई गई थी। फिर भी उसका मुआवजा जारी कर दिया गया। गुर्जर ने बताया मामले की शिकायत प्रधानमंत्री कार्यालय, रेल मंत्रालय और सीबीआई तक भी पहुंचाई जाएगी, ताकि शासकीय धन के इस बड़े खेल में शामिल भ्रष्ट अधिकारियों व कर्मचारियों को जेल भेजा जा सके।

3 दिन में जांच पूरी करने के आदेश, एक माह से अधिक समय बाद भी नही हुई जांच पूरी-

शिकायतकर्ता देवराज पिता हंसराज गुर्जर द्वारा शासकीय जमीन को निजी भूमि बताकर फर्जी तरीके से 3 करोड़ 40 लाख रुपए का मुआवजा लेने की शिकायत पर एसडीएम रविन्द्र परमार ने जांच टीम गठित की। इसमें जांच दल प्रभारी तहसीलदार ब्रजेश मालवीय व नायब तहसीलदार सुनील अग्रवाल, सदस्य घीसूलाल तालविया, पटवारी पूनमचंद जैन, मनोहरलाल कुमावत व सुरेश श्रीवास्वतव को बनाया व तीन दिवस में जांच कर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के आदेश दिए। लेकिन 40 दिन बीतने के बाद भी जांच पूरी नही हुई। क्षेत्र में अब जनता सवाल उठा रही है कि क्या सरकार ऐसे मामलों में कार्रवाई कर सरकारी धन की लूट को रोकेगी या फिर यह मामला भी फाइलों में दबा दिया जाएगा...?

रेलवे के नक्षे के अनुसार नपती कर दिया मुआवजा-

इधर मामले को लेकर जिन पर फर्जी मुआवजा लेने का आरोप लगा, उन्होंने बताया कि आरोप पूरी तरह निराधार है। दिलीप गोयल व अन्य ने बताया कि रेलवे के नक्षे अनुसार नपती कराई गई थी। राजस्व व रेलवे अधिकारियों की उपस्थिति में नपती हुई इससे पूर्व बकायदा रेलवे ने विज्ञप्ति भी निकलवाई थी। उसके बाद कीमती जमीन का काफी कम मुआवजा मिला है। मुआवजा नियमानुसार मिला है। कोई फर्जीवाड़ा नही हुआ है।  

जांच में सब सामने आएगा-

मुआवजा वितरण के समय जमीन की नपती करने वाले पटवारी ओमप्रकाश पाटीदार का कहना है नियमानुसार नपती की गई थी। जांच टीम गठित हो चुकी है। जो भी होगा जांच में सब सामने आ जाएगा।

दस्तावेज एकत्रित करवा रहे है-
एसडीएम रविन्द्र परमार ने बताया कि जांच दल गठित किया है, दस्तावेजों को एकत्रित करवा रहे है। मामला जांच में है।