BIG NEWS : शामगढ़ थाना प्रभारी धर्मेंद्र शिवहरे सहित चार पुलिसकर्मी निलंबित, तस्करों से लाखों रुपए लेकर छोड़ने का आरोप, विभागीय जांच के आदेश, एसपी की सख्त कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप, पढ़े खबर

शामगढ़ थाना प्रभारी धर्मेंद्र शिवहरे सहित चार पुलिसकर्मी निलंबित

BIG NEWS : शामगढ़ थाना प्रभारी धर्मेंद्र शिवहरे सहित चार पुलिसकर्मी निलंबित, तस्करों से लाखों रुपए लेकर छोड़ने का आरोप, विभागीय जांच के आदेश, एसपी की सख्त कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप, पढ़े खबर

मंदसौर। जिले की खाकी एक बार फिर सवालों के घेरे में है। सिवनी में पुलिसकर्मियों द्वारा 2.96 करोड़ रुपए की हवाला रकम लूटने का मामला शांत भी नहीं हुआ था कि अब मंदसौर जिले से खाकी को शर्मसार करने वाली एक और बड़ी खबर सामने आई है। शामगढ़ थाना क्षेत्र में डोडाचूरा तस्करों से 50 लाख रुपए लेकर उन्हें छोड़ने के आरोप में पुलिस अधीक्षक विनोद कुमार मीना ने शुक्रवार को बड़ी कार्रवाई की है।एसपी ने शामगढ़ थाना प्रभारी निरीक्षक धर्मेंद्र शिवहरे, उप निरीक्षक अविनाश सोनी, प्रधान आरक्षक दिलीप बघेल और आरक्षक मनीष मोगिया को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर विभागीय जांच के आदेश दिए हैं।


 
50 लाख की डील का बड़ा खुलासा, ग्राम आकली के तस्करों से हुई बातचीत- 

सूत्रों के अनुसार, ग्राम आकली शिवदास में पुलिस टीम अवैध शराब पकड़ने के लिए पहुंची थी, लेकिन वहां पुलिस को करीब एक क्विंटल डोडाचूरा मिला। कार्रवाई करने की बजाय पुलिस टीम ने तस्करों से समझौता कर लिया और मौके से उन्हें जाने दिया। शिकायत में यह भी सामने आया कि किसी सरपंच प्रतिनिधि के माध्यम से 50 लाख रुपए की डील तय की गई थी। बताया जा रहा है कि थाना प्रभारी धर्मेंद्र शिवहरे ने स्थानीय तस्करों से बातचीत कर यह रकम तय की। इसके बाद केवल एक आरोपी को मामले में शामिल दिखाया गया, जबकि बाकी सभी तस्करों को छोड़ दिया गया।
 
ऑडियो रिकॉर्डिंग से खुली पोल- 

शिकायत के बाद जब यह मामला पुलिस अधीक्षक के संज्ञान में आया, तो उन्होंने तुरंत जांच के आदेश दिए। जांच के दौरान एक ऑडियो रिकॉर्डिंग सामने आई, जिसमें डील की बातचीत के संकेत मिले। प्राथमिक जांच में लेन-देन के पर्याप्त साक्ष्य मिलने पर एसपी मीना ने बिना देर किए चारों पुलिसकर्मियों को तुरंत निलंबित कर दिया। सूत्रों के अनुसार, यह मामला सिर्फ एक डील तक सीमित नहीं है, बल्कि पूर्व के डोडाचूरा मामलों में भी लेन-देन की चर्चा सामने आई है।

पहले भी विवादों में रहे हैं निरीक्षक धर्मेंद्र शिवहरे- 

निरीक्षक धर्मेंद्र शिवहरे का विवादों से पुराना नाता रहा है। मंदसौर जिले में उनकी पहली पोस्टिंग अफजलपुर थाना में हुई थी। वहां कार्यप्रणाली को लेकर शिकायतें आने पर उन्हें हटा दिया गया था। बाद में गरोठ थाना में पदस्थ होने पर मछली विवाद में एक ग्रामीण की मौत के मामले में ठेकेदार से लेन-देन कर मामला हल्का करने के आरोप लगे थे। पूर्व एसपी अभिषेक आनंद ने भी उन्हें शामगढ़ से हटाया था, लेकिन उन्होंने न्यायालय से स्टे लेकर दोबारा पदभार संभाल लिया था। अब एक बार फिर उनके ऊपर वही पुराने आरोप साबित हुए हैं — तस्करों से लेन-देन कर कार्रवाई को कमजोर करना।
 
सख्ती से पुलिस महकमे में हड़कंप- 

एसपी विनोद कुमार मीना अपने कार्यकाल के दौरान जिले में पारदर्शिता और सख्ती के लिए जाने जाते हैं। उन्होंने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि मादक पदार्थ तस्करी के मामलों में किसी भी स्तर पर समझौता या ढील बर्दाश्त नहीं की जाएगी। उन्होंने कहा कि जिले को डोडाचूरा मुक्त बनाने के लिए खाकी को पहले खुद पारदर्शी होना होगा। एसपी की इस कार्रवाई से पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया है। वहीं, जिले के नागरिकों में यह उम्मीद जगी है कि ऐसे अधिकारी ही जिले को डोडाचूरा और मादक पदार्थ तस्करी से मुक्त करा सकते हैं।

प्रभारी का चार्ज एसआई अभिषेक बौरासी को सौंपा गया- 

चार पुलिसकर्मियों के निलंबन के बाद एसपी ने एसआई अभिषेक बौरासी को शामगढ़ थाना प्रभारी का कार्यभार सौंपा है। उन्हें निर्देश दिए गए हैं कि वे मादक पदार्थ तस्करी से जुड़े मामलों में सख्ती से कार्रवाई करें और किसी भी प्रकार की ढिलाई न बरतें।
 
मंदसौर में तस्करी और खाकी का गठजोड़ पुराना, विधानसभा में भी उठा था मुद्दा- 

वर्ष 2023 में विधानसभा सत्र के दौरान मंदसौर जिले में मादक पदार्थ तस्करी और पुलिस की मिलीभगत का मुद्दा जोरदार तरीके से उठा था। तब यह खुलासा हुआ था कि जिले में 22 पुलिसकर्मियों पर तस्करी व भ्रष्टाचार से जुड़ी 41 शिकायतें दर्ज थीं। इनमें से कई पुलिसकर्मियों पर कार्रवाई भी हुई थी, और कुछ मामलों की जांच अब भी जारी है।
 
जनता की उम्मीदें फिर जागीं  “ऐसे अधिकारी ही ला सकते हैं बदलाव- 

जिले के नागरिकों का कहना है कि एसपी मीना द्वारा भ्रष्ट पुलिसकर्मियों पर की गई यह कार्रवाई न केवल खाकी की साख बचाने वाली है, बल्कि यह संदेश भी देती है कि अब जिले में भ्रष्टाचार और तस्करी को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। जनता में यह भावना बढ़ी है कि अगर जिले में इसी तरह पारदर्शी कार्रवाई जारी रही, तो मंदसौर जल्द ही “डोडाचूरा मुक्त जिला” बन सकता है।