BIG NEWS : महिला के पेट की आंत काटी, जिंदगी और मौत से जूझ रही महिला, जनसुनवाई में ज्ञापन देने पहुंचे परिजन और ग्रामीण, डॉक्टरों पर लगाएं ये आरोप, कार्रवाई की मांग, पढ़े खबर

महिला के पेट की आंत काटी

BIG NEWS : महिला के पेट की आंत काटी, जिंदगी और मौत से जूझ रही महिला, जनसुनवाई में ज्ञापन देने पहुंचे परिजन और ग्रामीण, डॉक्टरों पर लगाएं ये आरोप, कार्रवाई की मांग, पढ़े खबर

पिपलियामंडी। जिले में चिकित्सकीय लापरवाही का एक और गंभीर मामला सामने आया है। मंदसौर के निजी त्रिशिका नर्सिंग होम की संचालक डॉ. रीना नागर पर आरोप है कि डिलीवरी के दौरान लापरवाही बरतते हुए महिला की आंत काट दी गई। इसके चलते महिला की हालत बिगड़ गई और अब वह जिंदगी और मौत से संघर्ष कर रही है। परिजनों ने जिला प्रशासन और पुलिस को ज्ञापन सौंपकर दोषी डॉक्टर के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है। 

जानकारी के अनुसार, समीपी ग्राम लिम्बावास निवासी अजय बंजारा ने बताया कि, 25 जुलाई 2025 को उनकी पत्नी शांतिबाई को प्रसव पीड़ा होने पर त्रिशिका नर्सिंग होम, मंदसौर में भर्ती कराया गया। डॉ. रीना नागर ने सीजेरियन ऑपरेशन किया, महिला ने एक पुत्र को जन्म दिया। ऑपरेशन के बाद डॉक्टर ने परिजनों को आश्वस्त किया कि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं। परिजनों का आरोप है कि इसी दौरान ऑपरेशन में आंते कट गईं, लेकिन डॉक्टर ने इस गंभीर तथ्य को छिपा लिया। 27 जुलाई को महिला शांति की हालत अचानक बिगड़ी। परिजनों का कहना है कि इस पर डॉ. नागर ने उन्हें बड़े अस्पताल ले जाने की सलाह दी और मरीज को बिना इलाज आगे बढ़ाए अस्पताल से छुट्टी दे दी। 

इसके बाद शांति को तुरंत अहमदाबाद सिविल अस्पताल ले जाया गया, जहां 28 जुलाई से 2 अगस्त तक उसका इलाज चला। वहां डॉक्टरों ने स्पष्ट किया कि ऑपरेशन के दौरान आंते कट जाने से संक्रमण फैल गया है, पेट में पस भर गया है और तत्काल ऑपरेशन करना संभव नहीं है। फिलहाल दवाइयों से संक्रमण नियंत्रित करने की कोशिश की जाएगी और करीब छह माह बाद ही दोबारा ऑपरेशन किया जा सकेगा। अहमदाबाद से लौटने के बाद शांति की हालत नाजुक बनी रही। उसे उदयपुर पेसिफिक अस्पताल में भी भर्ती कराया गया। 

वहां भी डॉक्टरों ने यही कहा, कि आंते कट चुकी हैं और संक्रमण गहराई तक फैल चुका है। मजबूरी में डॉक्टरों ने आंत को बायपास कर दिया और अलग से मल निकासी की व्यवस्था करनी पड़ी। परिजनों का आरोप है कि 26 अगस्त को जब वे डॉ. रीना नागर से मिले और पूरी स्थिति बताई तो उन्होंने न तो गलती मानी और न ही माफी मांगी। उल्टे परिजनों को धमकाते हुए कहा शांति पहले से कमजोर थी, तुम्हें जो करना है कर लो, मेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता। वर्तमान में शांति बाई की हालत गंभीर बनी हुई है। उनकी मल निकासी अलग से की जा रही है और लगातार दवाइयों के सहारे उन्हें जिंदा रखा जा रहा है। शांति की छोटी बच्ची को भी मां का दूध और देखभाल नहीं मिल पा रही है। परिजन मानसिक, शारीरिक और आर्थिक संकट से गुजर रहे हैं। 

पीड़ित महिला के पति अजय बंजारा और ससुर जगदीशचंद्र कच्छावा व लिम्बावास के ग्रामीणों ने मंगलवार को कलेक्टर और पुलिस अधीक्षक को जनसुनवाई में आवेदन देकर दोषी डॉक्टर पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उनका कहना है कि न केवल डॉक्टर ने लापरवाही की बल्कि अपनी गलती छिपाने और जिम्मेदारी से बचने का प्रयास किया। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि समय पर न्याय नहीं मिला तो वे धरना-प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। ज्ञापन में आर्थिक क्षति की भरपाई और दोषी डॉक्टर के खिलाफ कठोर दंडात्मक कार्यवाही की भी मांग की गई है।

स्वास्थ्य सेवाओं पर सवाल-

यह मामला न केवल एक परिवार की पीड़ा को उजागर करता है बल्कि निजी नर्सिंग होम्स की कार्यप्रणाली और जिले में स्वास्थ्य सेवाओं की विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े करता है। परिजन अब न्याय की उम्मीद में प्रशासन और पुलिस की कार्रवाई का इंतजार कर रहे हैं।

डॉक्टर से संपर्क नहीं हो सका-

इस संबंध में डॉ. रीना नागर से बात करने करने के लिए नर्सिंग होम नम्बर 6232611336 पर संपर्क करने का प्रयास किया गया, लेकिन डॉ. से संपर्क नही हो पाया। कॉल अटेंड करने वाली कर्मचारी ने बाद में बात कराने की बात कही।