NEWS : संघ से संस्कार और विद्यार्थी परिषद से नेतृत्व, बजरंग दल में जोश, संगठन में समर्पण, शाखा से विधानसभा तक, नीमच विधायक दिलीप सिंह परिहार का जनपथ, पढ़े विश्वदेव की कलम से

संघ से संस्कार और विद्यार्थी परिषद से नेतृत्व

NEWS : संघ से संस्कार और विद्यार्थी परिषद से नेतृत्व, बजरंग दल में जोश, संगठन में समर्पण, शाखा से विधानसभा तक, नीमच विधायक दिलीप सिंह परिहार का जनपथ, पढ़े विश्वदेव की कलम से

नीमच। कभी छात्र नेता के रूप में सड़क पर नारे लगाते देखे गए थे। कभी शाखा में अनुशासन का पाठ पढ़ते, और कभी बजरंग दल में संस्कृति की रक्षा करते हुए अग्रणी भूमिका में। आज वही चेहरा नीमच की जनता के विश्वास का प्रतिनिधि बनकर विधानसभा की चौथी पंक्ति तक पहुँच चुका है। दिलीप सिंह परिहार, जिन्हें लोग प्यार से "पक्के बापू" कहते हैं।

संघ से संस्कार, विद्यार्थी परिषद से नेतृत्व- 

संघ की शाखा में खड़े उस युवा ने जब स्वयंसेवक का दायित्व लिया था, तब शायद किसी ने नहीं सोचा होगा कि ये सादगी से भरा चेहरा एक दिन पूरे क्षेत्र की आवाज़ बनेगा। विद्यार्थी परिषद के दिनों से ही परिहार छात्र हितों की लड़ाई के लिए जाने जाते थे। उनका संघर्ष केवल पद के लिए नहीं, बल्कि विचार के लिए रहा है।

बजरंग दल में जोश, संगठन में समर्पण- 

बजरंग दल की रैली हो या सेवा कार्य, परिहार सबसे आगे रहे। लाठी लेकर नहीं, लोगों का भरोसा लेकर उन्होंने नेतृत्व की राह बनाई। राममंदिर आंदोलन हो या सामाजिक सद्भाव-हर मंच पर वे मजबूती से खड़े दिखे। रौशनी बनकर जो जले, वो कभी सियासत का धुआँ नहीं बनता। जो जन से जुड़ा हो, वो सिर्फ़ विधायक नहीं, पथ-प्रदर्शक बनता है। 

विकास नहीं दिखावा, सेवा नहीं सत्ता- 

आज जब राजनीति ‘इमेज बिल्डिंग’ का खेल बन गई है, तब दिलीप सिंह परिहार जैसे नेता जमीन से जुड़े हुए प्रतीक हैं। चाहे ग्रामीण इलाकों में पानी की टंकी हो या शहरी क्षेत्र में सड़कें, परिहार की प्राथमिकता हमेशा आम आदमी की सुविधा रही है।

सादगी ही असली ताकत- 

सादा पहनावा, सरल भाषा, और बड़े पद पर होते हुए भी अहंकार से दूरी, यही उनकी शैली है। वे भाषणों से ज़्यादा काम से जवाब देना जानते हैं। कोई भी सरकारी अफसर यदि आमजन की समस्या टालता है, तो परिहार की टेबल पर वह फाइल रुकती नहीं। "जो बात करे कम, पर काम करे दम, उसे जनता हर बार चुनती है। जो झुके नहीं सत्ता के आगे, वही जनता के दिल में बसती है।"

युवाओं के लिए आदर्श- 

आज जब राजनीति में भटकाव और भ्रम का दौर है, दिलीप सिंह परिहार जैसे लोग युवाओं के लिए रोल मॉडल हैं। उन्होंने सिखाया कि राजनीति सेवा है, और सेवा का पहला पाठ संघ की शाखा में ही पढ़ा जाता है।

निष्कर्ष: दिलीप सिंह परिहार की राजनीति का केन्द्र सिर्फ़ एक कुर्सी नहीं, बल्कि जनता का विश्वास है। वो विश्वास जो शाखा से चला, परिषद में पला, और आज विधान सभा में नीमच की आवाज़ बनकर गूंज रहा है। "संघर्ष वो जिसमें स्वार्थ न हो, सेवा वो जिसमें शोर न हो, सादगी वो जिसमें दिखावा न हो, दिलीप सिंह परिहार इसी राजनीति के प्रतिनिधि हैं।"