BIG NEWS : पिता से ली प्रेरणा, फिर पानोली गांव के इस किसान की जीतोड़ मेहनत, खेत बना आम्रपाली आम का बगीचा, कई जिलों में पहली पसंद, मिठास और स्वाद के लोग हुए दीवाने, पढ़े संजय नागोरी की ये खास खबर
पिता से ली प्रेरणा

नीमच। जिले की जावद तहसील की जनकपुर ग्राम पंचायत के पानोली गांव के 65 वर्षीय किसान जगदीशचंद्र पाटीदार ने अपने पानोली के खेत पर वर्ष 2000 में आम की खेती शुरू की। तत्कालीन उद्यानिकी अधिकारी एसएस सारस्वत से ग्राफ्टिंग विधि सीखकर आम्रपाली आम के 300 पौधे तैयार किए। अपने बगीचे में आम की मलिका वेराइटी के 42 और दशहरी के 2पौधे भी लगा रखे हैं। उन्होंने लगभग एक हेक्टेयर भूमि में आम की खेती कर रखी है।
अपने स्वर्गीय पिता लक्ष्मीनारायण पाटीदार से विरासत में मिले आम के 8 पोधो को देखकर उन्हें आम का बगीचा लगाने की प्रेरणा मिली। उन्होंने तत्कालीन उद्यानिकी अधिकारी एस एस सारस्वत के संपर्क में आकर ग्राफ्टिंग विधि से पोधो पर वेराइटी आम बनाने की विधि सीखी। पाटीदार ने अपने बगीचे में नीलम, तोतापारी, आम्रपाली, मल्लिका, बारहमासी,देशी जेसी सात प्रजाति एक ही पेड़ पर लगा रखी है।
पाटीदार ने बताया कि, वो बगीचे में देशी खाद का उपयोग करते है। खरपतवार नाशक के लिए मजदूरों से कटाई और ट्रीलर से जुताई करते है। किसी भी प्रकार के रासायनिक तत्व का कोई उपयोग नहीं करते है। पकने के लिए तैयार कच्चे आम को तोड़कर उन्हे देशी पद्धति वाली पाल पद्धति के द्वारा घास और टाट में पकाया जाता हैं। सात दिन रखने के बाद उन्हें 5-5 किलो के कार्टून में पैक कर डिमांड के अनुसार संबंधित को भेजा जाता हैं। वर्तमान में 10 जुलाई को पकने वाली पहली खेप की बुकिंग हो चुकी हैं। स्वाद के कई शौकीन पानौली आकर भी ये आम ले जाते है। जिले के अनेक लोग अपने दूर के रिश्तेदारों को ये आम भेजते है।
उन्होंने बताया कि, मेरे चार नियमित ग्राहकों ने विदेशी परिजनों द्वारा आम के स्वाद को बेहद पसंद किए जाने की जानकारी दी है। लगभग आधा किलो से अधिक वजन के आम में गुठली छोटी, गुदा स्वादिष्ट और मीठा होता है।इसी स्वाद के कारण यह आम आमजन में बेहद पसंद आ रहा है। बिना किसी सरकारी सहायता लिए तैयार किए इस बगीचे की देखभाल वे स्वयं करते है। क्राफ्टिंग पद्धति से सभी पोधे उन्होंने लगभग जीरो लागत पर स्वयं ही तैयार किए। उन्होंने युवा किसानों से कहा कि खेती को अन्य व्यवसायों की तरह लाभदाई बनाना होगा। इसके लिए लागत खर्चों और नुकसानी को कम कर उत्पादन को जन हितेषी बनाना होगा।