BIG NEWS : सोना-चांदी और नोटों से भर गई दान पेटियां, सांवरिया सेठ में निकली करोड़ों की धनराशि, होली पर भक्तों ने इतना प्यार लुटाया कि पांच दिन तक गिना गया पैसा, पढ़े खबर

सोना-चांदी और नोटों से भर गई दान पेटियां

BIG NEWS : सोना-चांदी और नोटों से भर गई दान पेटियां, सांवरिया सेठ में निकली करोड़ों की धनराशि, होली पर भक्तों ने इतना प्यार लुटाया कि पांच दिन तक गिना गया पैसा, पढ़े खबर

चित्तौड़गढ़। जिले के श्री सांवलिया सेठ मंदिर में 13 मार्च को खोले गए भंडार की गिनती 20 मार्च गुरुवार को पांचवें और अंतिम राउंड में पूरी हुई। इस दौरान नकद, सोना और चांदी का विस्तृत आकंलन किया गया। मंदिर प्रशासन द्वारा की गई गणना के अनुसार कुल 29 करोड़ 09 लाख 63 हजार 292 रुपये की धनराशि चढ़ावे में प्राप्त हुई है।

पांच राउंड में पूरी हुई नकद गिनती- 

श्री सांवलिया जी मंदिर के भंडार की गिनती पांच चरणों में पूरी हुई। अंतिम राउंड में 2 करोड़ 44 लाख 79 हजार 700 रुपये की गिनती हुई। सभी चरणों में मिले नकद दान की जानकारी इस प्रकार है।

पहला राउंड- 7 करोड़ 55 लाख रुपये
दूसरा राउंड- 4 करोड़ 97 लाख 20 हजार रुपये
तीसरा राउंड- 4 करोड़ 72 लाख 75 हजार रुपये
चौथा राउंड- 4 करोड़ 75 लाख 20 हजार रुपये
पांचवां राउंड- 2 करोड़ 44 लाख 79 हजार 700 रुपये

कुल मिलाकर, 24 करोड़ 44 लाख 94 हजार 700 रुपये की नकद धनराशि भंडार से प्राप्त हुई।

ऑनलाइन और मनीऑर्डर से आया करोड़ों का चढ़ावा- 

मंदिर के भेंट कक्ष और ऑनलाइन माध्यम से भी बड़ी धनराशि प्राप्त हुई। 4 करोड़ 64 लाख 68 हजार 592 रुपये ऑनलाइन और मनीऑर्डर के जरिए भक्तों द्वारा मंदिर को चढ़ाए गए। सोने.चांदी का तौल भी किया गया जिसमें 1.13 किलो सोना और 135 किलो चांदी मिली। मंदिर के भंडार की गिनती मंदिर मंडल के मुख्य कार्यपालक अधिकारी प्रभाव गौतम, नायब तहसीलदार शिव शंकर पारीक और प्रशासनिक अधिकारी नंदकिशोर टेलर की मौजूदगी में संपन्न हुई।

पिछले साल की तुलना में बढ़ा चढ़ावा- 

गौरतलब है कि मार्च 2024 में होली के बाद खोले गए भंडार से कुल 17 करोड़ 44 लाख 27 हजार 661 रुपये प्राप्त हुए थे। इस बार नकद चढ़ावा 29 करोड़ रुपये से अधिक पहुंच गया, जो पिछले वर्ष की तुलना में काफी अधिक वृद्धि को दर्शाता है।

सांवरा सेठ के प्रति श्रद्धालुओं की अटूट आस्था- 

श्री सांवलिया जी मंदिर में देशभर से श्रद्धालु अपनी श्रद्धा व्यक्त करने के लिए आते हैं। मंदिर को मिली यह विशाल राशि और आभूषण इस आस्था का प्रमाण हैं। मंदिर प्रशासन चढ़ावे के उचित उपयोग और धर्मार्थ कार्यों में इसके व्यय की योजना तैयार करेगा।