BIG NEWS : तहसीलदार की अनीति, सिंगोली में चल रहा अंग्रेजो के जमाने जैसा शासन, नहीं किये जा रहे नामांतरण, जिला प्रशासन की छवि हो रही धूमिल, क्या कलेक्टर करेंगे कार्यवाही, कांग्रेस नेता सत्यनारायण पाटीदार का बड़ा आरोप, पढ़े खबर

तहसीलदार की अनीति

BIG NEWS : तहसीलदार की अनीति, सिंगोली में चल रहा अंग्रेजो के जमाने जैसा शासन, नहीं किये जा रहे नामांतरण, जिला प्रशासन की छवि हो रही धूमिल, क्या कलेक्टर करेंगे कार्यवाही, कांग्रेस नेता सत्यनारायण पाटीदार का बड़ा आरोप, पढ़े खबर

सिंगोली। भाजपा सरकार व उसके जनप्रतिनिधियो ने हमेशा से किसान व आमजनता को ठगने का काम किया है। किसी ना किसी रूप में परेशान करने का यह क्रम निरंतर जारी है। ऐसे बेतूके नियम व कायदों कि बात कि जाती है जो हास्यास्पद होती है। बेतुके नियमों का हवाला देकर जो जरूरी नहीं होते है उससे जनता को परेशान करने का काम किया जा रहा है । मध्य प्रदेश की जावद विधानसभा तो ऐसी विधानसभा बन चुकी है जहां अनदेखी का ऐसा आलम देखने को मिलता है, जो कहीं नही हो रहा होता है। ऐसी ही अनदेखी नीमच जिले की 06 तहसीलो में से एक सिंगोली तहसील में देखने को मिल रहे है जहां के हालात बद से बदतर हो रहे है। यहां के तहसील विभाग में नामांतरण नहीं कर नामांतरण निरस्त कर अनीति की जा रही है।  भाजपा सरकार व उसके विधायक की निष्क्रियता का परिणाम यह है कि सम्पूर्ण जावद विधानसभा अनीति और भ्रष्टाचार का गड़ बन चुका है। जनप्रतिनिधि मौन बैठे है।

उक्त आरोप लगाते हुए जावद के पूर्व जनपद अध्यक्ष व प्रदेश कॉंग्रेस के सचिव सत्यनारायण पाटीदार ने कहा कि सिंगोली में अंग्रेजो के जमाने जैसा शासन चल रहा है। नीमच जिले में 06 तहसीले है उनमें 5 जगहों पर नामांतरण हो रहे है वहां नामांतरण निरस्त करने जैसा कोई नियम नहीं है । जबकि सिंगोली तहसील में  भाजपा सरकार और उसके जनप्रतिनिधियों संरक्षण में बेतूके नियम आमजन पर थोपे जा रहे है। सिंगोली में जो व्यक्ति नामांतरण करवाने जाता है उसको 1959 का शासकीय हवाला देकर नामांतरण को निरस्त कर दिया जाता है। वर्ष 2022 से 2025 तक लगभग 460 नामांतरण निरस्त किए गए है । इनमें किसान अधिक है वे सभी  ऐसे स्थानीय स्तर पर बनाए नियम से पीडित होकर भाजपा सरकार को कोस रहे है।नामांतरण नहीं करने व नामांतरण प्रकरण निरस्त करने के चलन को चलाने वाले  प्रमुख जिम्मेदार सिंगोली के तत्कालीन तहसीलदार रहे राजेश सोनी है। उन्होंने ही अपनी दुकानदारी जमाने के लिए यह परिपाटी चालू की है। 

उनके बाद नये तहसीलदार के रूप में बालकिशन मकवाना आये अब वो भी उसी तर्ज पर ही काम करने लगे है। जबकि तहसीलदार मकवाना जी सिंगोली से पहले मनासा में पदस्थ थे वहां उन्होंने बिना किसी नियम के नामांतरण किए लेकिन वर्तमान में वे सिंगोली में आकर 1959 के नियम का हवाला देकर नामांतरण निरस्त कर रहे है। जबकि 1959 में जब राजस्व विभाग बना था तब व उससे पूर्व तो सारा रिकार्ड ही शासकीय था। 

पाटीदार ने कहा की अब तत्कालीन सिंगोली तहसीलदार राजेश सोनी रामपुरा स्थानांतरित होकर गए है वे वहां भी सिंगोली जैसा नियम लागू कर नामांतरण निरस्त कर रहे है। जबकि नामांतरण कि प्रक्रिया में जो परिवर्तन (एमेंटमेंट) सरकार ने किया है उस अनुसार तो 1980 व 85 में सरकार ने जो शासकीय पट्टे दिये थे यह नियम उनके लिए लागू होना चाहिये । उससे पहले वाले में नहीं । 1959 के समय का जो शासकीय है उसका नामांतरण नहीं कर अनीति की जा रही है।

पाटीदार ने कहा की वो मिसल देखते है कि जबकि मिसल देखने  का कोई औचित्य नहीं है। 1959 में राजस्व विभाग बना उसके बाद पट्टे जारी हुए। पट्टा जारी होने के बाद उन्होंने परिवर्तन (एमेंटमेंट) जारी किया। परिवर्तन (एमेंटमेंट)जारी किया तो वह 1980 व 85 में जो पट्टे जारी हुए उनके लिए लागू हो सकता है। 

सिंगोली तहसीलदार ज़िला प्रशासन की आँखों में धूल झोंककर वहाँ केवल अंग्रेजो जैसा शासन चला रहे है और जिला प्रशासन की छवि को धूमिल कर रहे है।कलेक्टर महोदय को इस और ध्यान देकर जो परिपाटी चली आ रही है उसका निराकरण करना चाहिये और किसानों व आम जनता को न्याय दिलाकर बेतुके नियम बनाने वाले तहसीलदार के कार्यों की जाच कर उचित कार्यवाही करना चाहिए।