NEWS : अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस, जीरन महाविद्यालय में व्याख्यान संपन्न, इन्होंने बताई कार्यक्रम की रुपरेखा, पढ़े खबर
अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस

जीरन। प्रभारी प्राचार्य प्रो. दिव्या खरारे के निर्देशन में भारतीय ज्ञान परंपरा के मासिक कार्यक्रम के तहत शनिवार को शासकीय महाविद्यालय में व्याख्यान कार्यक्रम संपन्न हुआ। कार्यक्रम की विस्तृत रूपरेखा बताते हुए ज्ञान परंपरा प्रकोष्ठ नोडल डॉ. रामधन मीणा ने बताया कि, 2024 के अंतर्राष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस की थीम है "सहिष्णुता के माध्यम से शांति को बढ़ावा देना।
उन्होंने कहा कि, यह थीम दो राष्ट्रों के मध्य संघर्ष के समाधान को बढ़ावा देने में सहिष्णुता की भूमिका को बताती है यह थीम हमें यह भी बताती है की शिष्ट के नकारात्मक परिणामों को स्वीकार करते हुए विशेष रूप से हिंसा भेदभाव और संघर्ष से प्रभावित क्षेत्रों में यह दिवस इस और भी ध्यान आकर्षण करता है। किस प्रकार सहिष्णुता विभिन्न संस्कृतियों विशेष रूप से जाति एवं धार्मिक समूह के बीच विभाजन को दूर करने और सेतू निर्माण में एक आधारभूत स्तंभ के रूप में कार्य करती है।
उन्होंने आगे कहा कि सहिष्णुता एक प्रकार से हमारे भारत देश का ध्येय वाक्य "वसुदेव कुटुंबकम" को भी साकार करती है। महात्मा गांधी ने तो अपने भजन "वैष्णव जन तो देने कहिए जो वीर पराई जाने रे।" में सहिष्णुता को ही प्रतिभाषित किया है आदि उद्धरण देते हुए अपने वक्तव्य को अवसान दिया।
इसके बाद मुख्य वक्ता डॉ. विष्णु निकुम ने बताया की सर्वप्रथम संयुक्त राष्ट्र ने 1996 में 16 नवंबर को अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस के रूप में मनाया लेकिन घोषित तो वैसे यूनेस्को ने यह दिवस 1995 में ही कर लिया था। अंतरराष्ट्रीय सहिष्णुता दिवस हमें एक दूसरे के प्रति आदर भाव से रहने की सीख देता है।
उन्होंने बताया कि सांस्कृतिक विविधता का समर्थन करते हुए जश्न मनाना जरूरी समझता है। मंच संचालन वाणिज्य संकाय प्रमुख डॉ. शीतल सोलंकी एवं प्रो. रितेश कुमार चौहान ने संयुक्त रूप से किया । आभार प्रो. वंदना राठौर एवं डॉ. नानूराम नर्गेश ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में समस्त स्टाफ एवं छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।