NEWS : नीमच में आयोजित भक्तमाल कथा का तीसरा दिन, भक्त बने भगवान, नरसीजी के पुत्र का कराया विवाह, दिव्य लिलाओं का हुआ गुणगान, आज होगा कुछ खास, पढ़े खबर

नीमच में आयोजित भक्तमाल कथा का तीसरा दिन

NEWS : नीमच में आयोजित भक्तमाल कथा का तीसरा दिन, भक्त बने भगवान, नरसीजी के पुत्र का कराया विवाह, दिव्य लिलाओं का हुआ गुणगान, आज होगा कुछ खास, पढ़े खबर

नीमच। भक्तमाल कथा के तीसरे दिन कृष्ण भक्त नरसी मेहता के पूत्र की विवाह की दिव्य लीला के प्रसंग का गुणगान हुआ। श्री अग्रसेन सोश्यल ग्रुप के तत्वावधान में शहर के सीएसपी अग्रोहा भवन में चल रही कथा के माध्यम से श्रद्धालुओं को संत गौरदास महाराज ने कई संदेश दिए। उन्होंने कहा कि जो भगवान की शरण में आते है, उनके सभी ऋण भगवान अदा करते है। भगवान की कृपा से नरसी जी का जीवन सुखमय हो गया। भक्त नरसी के बचपन, पारिवारिक स्थिति और उनके जीवन के महत्वपूर्ण प्रसंगों की विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि भक्त नरसी ने जाति पाति के बंधन को तोडते हुए समाज को एकता का संदेश दिया।

संत ने कहा कि प्राचीन समय में ब्राम्हण ही विवाह सम्बंध तय कर देते थे जबकि आज के समय बहुत जांच पड़ताल होती है फिर भी धोखा हो जाता है। विवाह के लिए सबसे पहले कुल, स्वभाव, रूप फिर धन देखते थे परंतु कलयुग में उल्टा हो गया। अब तो पार्टी में कितनी जान हैं कितना निचोड़ा जा सकता है यह सब पता करते है। नरसी मेहता के पुत्र शामलदास का संबंध भी एक ब्राम्हण ने उनकी कीर्तन भक्ति देख सेठ मदनलाल की बेटी सुरसेना से तय कर दिया था। हालांकि नरसी से जलने वाले कुछ दुष्टों ने संबध तोड़ने के लिए यजमान को पत्र लिख दिया। 

पहले समय मे बोली या वचन से बेटी पराई हो जाती थी। अक्षय तृतीया के दिन शामलदास का विवाह तय हुआ। जिसकी तैयारी नहीं होने की चिंता करते हुए नरसीजी ने संकीर्तन किए तो भगवान कृष्ण व रूकमणी सेठ व सेठानी बन नरसीजी के घर आए और विवाह की सभी रस्म को संपन्न कराया। सांवरियां है सेठ म्हारी राधा जी से ठाणी हैं कि सारी दुनिया... सजा सिर सेहरा हरि के सदा शुभ होए.... नरसी जी लेके बारात सुत को ब्याहन चले.... जैसे कीर्तन के साथ विवाह के प्रसंग को गुरूदेव ने सुनाया तो कई भक्त थिरकने लगे और तालियां गूंज उठी।

प्रभु पर भरोसा होना भी प्रभु पर संभव-

संत ने का कि प्रभु पर भरोसा होना प्रभु पर ही संभव है। संसार मे कुछ लोगों को भजन कीर्तन से कोई मतलब नही होता हैं, वह सिर्फ चमत्कार देखने आते है। जीवन मे संत और भगवत सेवा सामने हो तो हमें संत सेवा चुनना चाहिए क्योंकि संतों की सेवा से भगवत या भगवान की सेवा हो जाती है। नरसी जी तो प्रभु की लीला देख धन्य हो गए थे भगवान जैसे चाहते है वैसा करना पड़ता है। संसार की कोई वस्तु न मिले सिर्फ भगवान मिल जाएंगे। पुत्रवधु भी जीवन भर नरसी जी साथ रही। जात पात पूछे नही कोई हरि को भजे सो हरि का होई। मणिगौरी ने अंतिम समय जाते जाते भगवान के दर्शन की इच्छा व्यक्त की।

आज कथा में नानी बाई का मायरा प्रसंग होगा-

भक्तमाल कथा के चौथे दिन संत गौरदास महाराज द्वारा नरसी मेहता के जीवन की मुख्य लीला नानी बाई का मायरा प्रसंग का विस्तृत वर्णन सुनाया जाएगा। जिसमें कैसे गरीब पिता अपनी बेटी का मायरा भरता है। इसमें दिव्य नरसी के भात नानीबाई के मायरा की प्रस्तुति होगी। अंत मे अनिल गोयल ने कहा गुरुदेव के मुख से भक्तमाल कथा रसपान कर रहे है। इतने सुंदर कथा नगर में श्रद्धालुओं के ओर से प्रणाम करता है। आप ने रस जो बाहा रहे है जीवन धन्य करते रहे। आशा है का ध्यान रखना है। फिर आरती हुई। रघुपति भजे निताई गोरी राधेश्याम जप हरे कृष्ण हरे राम।

विधायक परिहार ने लिया गुरूदेव का आर्शीवाद-

गुरूवार को कथा में विधायक दिलीपसिंह परिहार भी पहुंचे। उन्होंन भक्तमाल कथा श्रवण कर और अंत में ग्रंथ की आरती कर संत गौरदास महाराज का दुपटटा पहनाकर आर्शीवाद लिया। इस दौरान संघ के पदाधिकारी व सदस्यों परिहार का भी दुपट्टा पहनाकर स्वागत सम्मान किया।

इन्होंने किया भक्तमाल ग्रंथ का पूजन-

कथा में सबसे पहले गुरूदेव के आगमन के बाद ग्रुप के गोपाल गर्ग, श्याम गोयल, श्याम नरेडी, आदि ने ग्रंथ पूजन व आरती की। अध्यक्ष आशीष मित्तल, सचिव आशीष गर्ग व कथा संयोजक सपना गोयल ने ग्रंथ का पूजन किया। मीनल गर्ग, युवती प्रकोष्ठ संयोजिका दीप्ति गर्ग, सहसंयोजिका शानू गर्ग, रतलाम अग्रसेन सोश्यल ग्रुप के महेश अग्रवाल, पूर्व अध्यक्ष ओमप्रकाश अग्रवाल, हर्ष गोयल, जगदीश गर्ग एसके, जगदीश मंगल, कैलाशचंद्र सिंहल, कैलाशचंद्र धानुका आदि उपस्थित प्रमुख लोगों ने भक्तमाल ग्रंथ का पूजन कर गुरूदेव से आशीर्वाद लिया। कार्यक्रम का संचालन डॉ. कमल अग्रवाल ने किया। अंत मे अनिल गोयल ने कहा गुरुदेव के मुख से भक्तमाल कथा रसपान कर रहे है।