NEWS: लुप्त हो रही संजा बनाने की परंपरा, पर नीमच जिले में यहां आज भी लगातार जारी, गोबर के उकेरी अलग-अलग आकृति, पढ़े मनीष जोलान्या की खबर

NEWS: लुप्त हो रही संजा बनाने की परंपरा, पर नीमच जिले में यहां आज भी लगातार जारी, गोबर के उकेरी अलग-अलग आकृति,

NEWS: लुप्त हो रही संजा बनाने की परंपरा, पर नीमच जिले में यहां आज भी लगातार जारी, गोबर के उकेरी अलग-अलग आकृति, पढ़े मनीष जोलान्या की खबर

रिपोर्टर- मनीष जोलान्या

मनासा। भाद्रपद की पूर्णिमा से अश्विनी मास की अमावस्या तक श्राद्ध पक्ष में मनाए जाने वाला 16 दिन तक संजा पर्व मोबाइल और कम्प्यूटर के युग मे लगभग लुप्त होता जा रहा है। कही कही आज भी लडकिया संजा बनांकर इस पर्व को मना रही है वही रविवार को मनासा के व्यास कॉलोनी में बालिकाओं द्वारा श्रद्धा-भक्ति के साथ संजा बनाई । बालिकाओ ने  घर की दीवारों पर गाय के गोबर से अलग-अलग प्रकार की आकृति बनाकर संजा माता के रुप में पूजन किया

बालिका पंखुड़ी ,नीतू ,आदि बालिकाओ ने बताया की शाम होते ही गलियों, बस्तियों व कॉलोनियों में जहां संजा माता बनाई जाती है वहाँ “संजा माता के गीतों से आराधना की जा रही है।व अंतिम दिन नदी तालाब पर लेजाकर प्रवाहित करते है। साथ ही महेश शर्मा ने बताया के संजा फूली की परंपरा को संजोए रखा है। लेकिन कही जगह यह परंपरा लुप्त होती जा रही है तो कही कही आज भी इसका चलन है।