NEWS: मोक्ष हेतु सामूहिक दीपयादी श्राध्द 23 अक्टूबर की मध्य रात्रि को, पंडित दीपक पंड्या ने कहां- दीपावली पर पितरों को प्रसन्न कर मांगे सुख सौभाग्य का आशीर्वाद, पढ़े खबर

मोक्ष हेतु सामूहिक दीपयादी श्राध्द 23 अक्टूबर की मध्य रात्रि को, पंडित दीपक पंड्या ने कहां- दीपावली पर पितरों को प्रसन्न कर मांगे सुख सौभाग्य का आशीर्वाद, पढ़े खबर

NEWS: मोक्ष हेतु सामूहिक दीपयादी श्राध्द 23 अक्टूबर की मध्य रात्रि को, पंडित दीपक पंड्या ने कहां- दीपावली पर पितरों को प्रसन्न कर मांगे सुख सौभाग्य का आशीर्वाद, पढ़े खबर
रिपोर्ट- बबलू यादव  
नागदा। सहस्त्र औदीच्य युवाओ द्वारा लगातार दूसरे वर्ष दीपावली पर्व काल के अंतर्गत जन कल्याण हेतु पितरों को मोक्ष व शान्ति करने के महापर्व नरक चतुर्दशी अथवा यम चतुर्दशी पर चंबल तट पर सामूहिक दीप यज्ञ एवं पितृ तर्पण का सामूहिक आयोजन किया जाता है। इस वर्ष भी सामूहिक कार्यक्रम का आयोजन मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पर 23 अक्टूबर को किया जाएगा। 

दीप यज्ञ व श्राद्ध की पूजन 23 अक्टूबर की रात्रि मैं 3 बजे मुक्तेश्वर महादेव मंदिर परिसर में प्रारंभ की जाएगी, जो प्रातः ब्रह्म मुहूर्त में पितरों को प्रसन्न करने हेतु पित्र दीपावली उत्सव मनाने के बाद 6 बजे समाप्त होगी। आचार्य अजय पंड्या एवं दीपक पंड्या के सानिध्य में आयोजन संपन्न होगा। कार्यक्रम संयोजक निलेश मेहता ने बताया की आयोजन में उपस्थित होने हेतु संपर्क कर सकते है। सम्पूर्ण आवश्यक पूजन सामग्री लेकर कार्यक्रम स्थल मुक्तेश्वर महादेव मंदिर पर 23 अक्टूबर की मध्य रात्रि में 3 बजे पहुंचे। 

नरक चतुर्दशी अथवा यम चतुर्दशी पर पित्र तर्पण व दीप यादी श्राद्ध करने का महत्व- 
नरक चतुर्दशी तिथि के दिन किये गये ब्रह्म प्रायश्चित, पाप के निदान, अकाल मृत्यु को भेट हुए पुरुष, स्त्री एवं पितरो के नरक से वैकुंठधाम ले जाने के दीपयादि श्राद्ध श्रीमद भागवत पुराण में महर्षि सुखदेव द्वारा, सुत द्वारा विष्णु पुराण के अंतर्गत द्वापर युग मे 16 हजार कन्याओं को नरकासुर नाम के राक्षस के बंधन से मुक्ति, किये गए पापों के प्रायश्चित व 16 हजार कन्या को स्वयम अपनाने की संकल्प तिथि व 16 हजार कन्याओं से विवाह और नरकासुर के वध के उपलक्ष्य में घर-घर दीपदान की परंपरा शुरू हुई। इसी तिथि को नरक चतुर्दशी कहते है। 
इस दिन अपने पूर्वज पितरों को याद करके देवऋषि, देव, पित्र, यम, मनुष्य तर्पण करना चाहिए, व पितृ के देवता भगवान जनार्दन (विष्णु) का पूजन करके 16 मिट्टी के दीपक को गन्ने के मंडप में लगाकर मृत्यु के देवता यमराज से अपने एक वर्ष के अंदर किये गए पाप, जैसे देव, किन्नर गौ, पशु, पक्षी, सर्प, विछु, गिलहतरी, मानव, श्वान (कुत्ता) (घर मे पाला हो) व अन्य जीव की हत्या की हो या हत्या करने में आई हो, या स्वयम के सामने इन किसी भी जीव को मरते देखा हो के साक्षी स्वरूप ऐसे मनुष्य को नरक चतुर्दश (रूप चौदस) के दिन अपने कर्म का प्रायश्चित करना चाहिए। 

गरुण पुराण, में इसका उलेख है कि कर्मो को प्रयाश्चित में यम तर्पण करना चाहिए, स्कंद पुराण में बताया गया है कि पिता, माता, पुत्र, बहन, भाई या सगे सबंधी, मित्र यदि कर्म के आधार से नरक में चले गए हो। जिनका ज्ञान हमें नही पता हो कि, वे दिवगंत किस लोक में होंगे। ऐसे पूर्वजो को के लिए विशेष कर मृत्यु होने वाले वर्ष के अंदर, व अपने किये कर्मो के प्रायश्चित हेतु इस रूप चौदस तिथि पर यह प्रमुख कर्म मनुष्य को करना चाहिए स्कंद पुराण की मान्यता है कि इस तिथि में ब्रह्म मुहूर्त में नरक से मुक्ति मिलती है। जो नरक में कर्म का प्रयाश्चित भोगना न पड़े, पितृ के लिए इस तिथि नरक के द्वार खुलते ही ओर आत्मीय दीप ज्योति बैकुंठ प्रस्थान करती है इस सांगता सिद्धि के लिए पूजन के अंत में ब्राह्मण को दक्षिणा भी चढ़ाना चाहिए। जिससे कर्म की तुष्टि, पुष्टि, ओर संतुष्टि पूर्ण होती है।

नरक चतुर्दशी स्नान विधि :
1. धन तेरस को रात्रि 3 बजे बाद नरक चतुर्दशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में पूर्व उठकर स्नान करने का विशेष महत्व है। माना जाता है कि इस दिन ऐसा करने से रूप में निखार आ जाता है।
2. इस दिन स्नान के बाद दक्षिण दिशा की ओर हाथ जोड़कर यमराज से प्रार्थना करने का भी विधान है। माना जाता है कि ऐसा करने से पूरे साल में किए पापों का नाश होता है।

3. इस तिथि को मान्यता है कि एक दीपक के ज्योति के समान आत्मा नरक से निकल कर वैकुंठ को प्रस्थान करती है, इसलिए पृथिवी पर अमुक पितृओ के लिए अनार, फुलझड़ी लगाकर प्रकाश दिखाया जाता है स्कंदपुराण की मान्यता है कि इस तिथि को नरक से निकले अमुक पितृ भगवान नारायण की कृपा से 15 दिवस अगली वैकुंठ चतुर्दशी तिथि को वैकुंठ पहुँच जाते है। 
नगर के सभी श्रद्धालु जन से आयोजन में सम्मिलित होकर धर्म लाभ लेने का आग्रह कार्यक्रम संयोजक एवं सर्व ब्राह्मण समाज युवा विंग अध्यक्ष निलेश मेहता, हेमंत त्रिपाठी, संतोष शर्मा, मनोहर पाराशर, विजय व्यास, मनीष व्यास, दीपक रावल, अजय पंड्या दीपक पंड्या आदि ने किया।