BIG REPORT : युद्ध के बीच दहशत, और मदद का इंतजार, मैसेज आते ही मच जाती खलबली, बंकर की दीवारों में सिमटी जिंदगी, इजराइल में फंसे एमपी के लोग, इस आपबीती से दहल जाएगा दिल, पढ़े खबर
युद्ध के बीच दहशत

डेस्क। हम सभी दिनभर फोन पर नजर टिकाए रहते है। मोबाइल पर जैसे ही मैसेज आया, कि मिनटों में हमें सेफ हाउस (बंकरों) में जाना पड़ता है। रात-दिन सायरन बज उठते है। सभी दहशत में हैं। पीएचडी करने इजराइल गई नर्मदापुरम की प्रतिभा अहिरवार उन भारतीय विद्यार्थियों में से एक हैं, जो युद्ध के बीच दहशत में मदद का इंतजार कर रही हैं। वे बताती हैं कि ईरानी मिसाइलों ने इजराइल के हाइफा शहर को दहला रखा है। उनकी जिंदगी बंकर की दीवारों में सिमटी है। रविवार को हाइफा वार जोन रहा। परिजन बताते हैं, बेटी 11 बजे फोन करती थी, लेकिन रविवार को कोई फोन नहीं आया। पूरा परिवार सलामती को लेकर चिंतित है।
इजराइल की हर इमारत में सेफ हाउस-
प्रतिभा, भारतीय समय के अनुसार रोजाना 11 बजे परिजनों को वीडियो कॉल करती है। वहां के हालात बताती है। वे कहती हैं कि इजराइली प्रशासन हमले से पहले हर नागरिक को अलर्ट मैसेज भेजता है। इसके मिलते ही नागरिकों को चंद मिनटों में जरूरी सामान लेकर बंकर में जाना होता है। वहां हर इमारत में इजराइल प्रशासन ने बंकर बना रखे है। ये बंकर आसमान से बरसती मिसाइलों से लोगों की सुरक्षा करते है।
ईरान से 285 और लौटे-
ऑपरेशन सिंधु के तहत ईरान में फंसे भारतीयों को निकालने का सिलसिला जारी है। भारत का एक और विमान रविवार रात मशहद से 285 भारतीयों को लेकर नई दिल्ली एयरपोर्ट पहुंचा।
साहस देने में जुटे पिता-
करगिल युद्ध में सेवाएं दे चुके प्रतिभा के पिता ओम प्रकाश सैनिक कल्याण बोर्ड में कार्यरत है। एक फौजी होने के नाते बेटी को समझाते हैं कि हिम्मत रखे, लेकिन वे भी बेचैन हैं।
मेघनगर के पास रंभापुर के रहने वाले हैं हाड़ा दपती-
अभी सुबह है, रात तो अच्छे से निकल गई, 10 मिनट पहले ही मोबाइल पर अलर्ट आया। इसलिए हम लोग बंकर में आ गए। हमले के दौरान यही सुरक्षा कवच है। यह कहना था सेंट्रल इजराइल के रेहोवोट शहर में फंसे झाबुआ के डॉ. अलकेश का। डॉ. ने बताया कुछ देर पहले ही ऐप पर अलर्ट आया। हम अभी बंकर में हैं। तेल अवीव से उनका शहर 30 किमी दूर है। उनके साथ पत्नी हिना और साढ़े 6 साल का बेटा जियान है।
रिपोर्ट के अनुसार, डॉ. अलकेश और उनकी पत्नी हिना मूलत: मेघनगर के पास रंभापुर (किशनपुरा) के रहने वाले हैं। जिस दिन से इजराइल-इरान युद्ध शुरू हुआ। उस दिन से एक तरफ डॉ. अलकेश के पिता शंकरसिंह व मां गोदावरीबाई तो दूसरी तरफ हिना के पिता अर्जुनसिंह नायक व मां सुमित्राबेन के साथ परिवार के अन्य सदस्य चिंता में हैं।
हमारा शहर पूरी तरह सेफ जोन में-
डॉ. हाड़ा, इजराइल के मिनिस्ट्री ऑफ एग्रीकल्चर एंड फूड सेफ्टी डिपार्टमेंट में कृषि वैज्ञानिक हैं। यहां पूरी तरह से अनिश्चिता और भय का माहौल है। वे सुरक्षित वापसी के लिए ऑपरेशन सिंधु में रजिस्ट्रेशन करवाया है। नंबर आते ही वे स्वदेश वापसी करेंगे।