NEWS : महिलाओं ने किया गौमाता का पूजन, रोटी और हरी घास खिलाकर लिया आशीर्वाद, कुछ यूं मनाया बछ बारस पर्व, पढ़े खबर
महिलाओं ने किया गौमाता का पूजन

नीमच। भारतीय सनातन संस्कृति में गौसेवा का अत्यधिक महत्व है। श्री कृष्ण ने भी स्वयं ग्वाल पाल बन गौ पालन कर संसार को गौसेवा कर गौरक्षा का संदेश दिया है। पृथ्वी पर प्रकृति में विचरण करने वाले पशु पक्षियों की रक्षा का कर्तव्य देश के प्रत्येक नागरिक का है। हम पशु पक्षी जैसे मुक प्राणियों की वह सेवा करते हैं, तो इसे प्रकृति का संतुलन बना रहता है, और वातावरण शुद्ध रहता है। गाय के गोबर से खाद बनता है। वह खाद फसलों में पौष्टिक आहार प्रदान करता है। यह बात जय गणेश परिवार की पहल जीव सेवा विकास अभियान की पावन श्रृंखला में ग्राम लेवडा स्थित गोपाल गौशाला में बछ बारस पर्व के पावन उपलक्ष्य में आयोजित गौ सेवा पूजन कार्यक्रम में उपस्थित मातृशक्ति ने व्यक्त किए।
उन्होंने कहा कि, गौमाता केवल पशु नहीं यह भारतीय संस्कृति सनातन संस्कृति की संवाहक है। इसलिए गौमाता को सनातन हिंदू समाज माता कहकर बुलाता है। गायों में देवी देवताओं का निवास होता है। बछ बारस के दिन गाय के बछड़े और गौमाता की पूजा करने से संतान प्राप्ति की कामना पूरी होती है। प्रकृति की रक्षार्थ गौमाता का संरक्षण हमारा कर्तव्य व धर्म है। बछ बारस पर्व के पावन के उपलक्ष्य में मातृशक्ति ने गौशाला में पहुंचकर क्षैत्र अच्छी बरसात एवं खुशहाली की प्रार्थना के साथ गौ माता का आरती पूजन किया। गौमाता को रोटी, हरी घास, मकई के रोटी, खिलाकर आशीर्वाद ग्रहण किया।
इस अवसर पर जीव सेवा विकास अभियान नगर क्षेत्र की मातृशक्ति कौशल्या काबरा, कल्पना जैन, केसर बागड़ी, नीलू गहलोत, छवि गहलोत, शारदा वर्मा, सुनीता वर्मा, शोभा तोतला, तारा बाहेती, सीता बाहेती एवं गौशाला गौ सेवक पवन शर्मा सहित अन्य गौ सेवक एवं मातृशक्ति उपस्थित थी। जय गणेश परिवार की पहल जीव सेवा विकास अभियान की पावन श्रृंखला में बछ बारस के उपलक्ष में कौशल्या काबरा एवं प्रेमलता मालू की पहल पर लेवडा स्थित गौशाला में जाकर के कई मातृ शक्तियों ने गौमाता की पूजा अर्चना की।